शनिवार, सितंबर 12, 2009

दाढ़ी से सम्बंधित सुप्रीम कोर्ट का काबिले तारीफ फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक विद्यार्थी मोहम्मद सलीम के सिलसिले में जो फ़ैसला सुनाया है उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। ज्ञात रहे की निर्मला कॉन्वेंट स्कूल ने सलीम को स्कूल से यह कह कर निकल दिया था की यदि स्कूल में रहना है तो दाढ़ी कटनी होगी । अब कोर्ट ने कहा है की दाढ़ी रखना किसी की धार्मिक आस्था का सवाल है और उसे कटाने के लिए किसी को मजबूर नही किया जा सकता। पता नही हमारे देश में जो की विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और उसकी एक सब से बड़ी खूबी यह है की यहाँ सभी धर्म के लोग आपस में मिल कर रहते हैं इसके बावजूद कभी दाढ़ी को लेकर तो कभी दोपट्टा को लेकर यहाँ हंगामा खड़ा होता रहता है। यदि कोई लड़की दुपट्टा पहन कर स्कूल जाती है तो उसपर किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति दाढ़ी रखना चाहता है तो यह उसका अपना मामला है इस पर भी किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए। ऐसा नही है की दाढ़ी वाले स्टुडेंट तेज़ नही होते। भारत में दाढ़ी रखे हुए मुस्लमान बड़े बड़े ओहदों पर है और वोह अपना और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। और वैसे भी सब से बड़ी बात धार्मिक आस्था का है यदि कोई मुस्लमान दाढ़ी रखना चाहता है तो किसी को उसे रोकने का हक नहीं है। उसी तरह यदि कोई हिंदू तिलक लगना छठा है या फिर वोह टिकी रखना चाहता है तो इस पर किसी को आपत्ति क्यों हो। यह उसकी अपनी मर्ज़ी है। जो लोग आए दिन कभी ड्रेस कोड के नाम पर तो कभी किसी और नाम पर इस तरह की बकवास करते रहते हैं उन्हें अपनी हरकतों से बाज़ आ जाना चाहिए।

1 टिप्पणी:

Mohammed Umar Kairanvi ने कहा…

बहुत खूब, यही है सीधा रास्ता, कोर्ट का यह काबिले तारीफ फैसला है,(आपने कबील लिखा है), हमें दाढी से रोकते हो जबकि सिखों को दाढी बारे में कभी नहीं रोका जाता,
बहुत अच्छा लिखा आपने, अनुमान व दुआ है कि आप ब्लागिंग में बहुत आगे तक भी जायें, बधाई

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विचार करो कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा हैं या यह big game against islam है
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