मंगलवार, मई 26, 2009

समाजवादी पार्टी , आज़म खान और मुस्लमान

अंततः आज़म खान को समाजवादी पेर्टी से निकल दिया गया। इसकी खास वजह जो भी हो मगर यह तो पहले ही तय हो छुका था की खान साहब को देर सवेर पार्टी से निकला ही जाएगा। खान साहब ने कल्याण सिंह ख विरोध किया था यह तो अच्छी बात थी। कोई भी मुस्लमान उस व्यक्ति को कई स्वीकार करेगा जो बाबरी मस्जिद की शहादत का जिम्मेदार है। मगर खान साहब की यह ग़लती थी की उन्हों ने पार्टी की रामपुर से उम्मीदवार जाया प्रदाह को हराने की हर मुमकिन कोशिश की। हालाँकि वोह इसमे कामयाब नही हुए मगर पूरे ऊत्तर प्रदेश में उन्हों ने पार्टी को नुकसान ज़रूर पहुँचाया। अब खास सवाल यह है की अब जबकि आज़म खान को पार्टी से निकल दिया गया है तो अब उनका अगला रुख क्या होगा और दूरे यह की क्या मुस्लमान मुलायम जी की इस हरकत को उचित मानेंगे।
आज़म खान ने पार्टी में रहते हुए पार्टी के खिलाफ काम मय यह मुनासिब नहीं है मगर मुलायम ने भी उन्हें पार्टी से निकल कर अच्छा नही क्या है। इस से मुसलमानों में ग़लत संदेश जाएगा। उत्तर प्रदेश में मुस्लमान समाजवादी को अपना समझते है । कल्याण से हाथ मिलकर मुलायम लोक सभा में नुकसान उठा चुके है अब उन्हों ने आज़म खान को परत्यय से निकल दिया है हो सकता है उन्हें इसका भी नुकसान उठाना पड़े। क्योंकि मुसलमानों को लगता है आज़म खान को पार्टी से निकल कर मुलायम जी ने मुसलमानों की बेईज्ज़ती की है। मुलायम को इसका एक अच्छा हल निकलना चाहिए वरना यह समाजवादी जैसी एक अच्छी पार्टी के लिए अच्छा नही है.

मंगलवार, मई 12, 2009

सियासी जोड़ तोड़ शरू

पंद्रहवीं लोक सभा के लिए अब केवल अन्तिम दौर का मतदान बाकी है। अब तक लगा भाग हर सियासी पार्टी को अपनी हैसियत का अंदाजा हो चुका है अलबत्ता कुछ नेता ऐसे है जो अपनी हसियत को समझने के बावजूद उस से इंकार कर रहे है और बार बार यही कह रहे हैं की सफलता तो हमें ही मिलेगी। कौन सही दावे कर रहा था और कौन केवल बकवास कर रहा था इसका फ़ैसला तो १६ तारिख को हो जाएगा अलबत्ता नेताओं ने अपने तौर पर जोड़ तोड़ करना शरू कर दिया है। जिस पार्टी का सिर्फ़ एक दो एम पी जीतेगा वोह भी इस उम्मीद में है की हुकूमत किसी की बने हम उसमे शामिल हो जायेंगे और पूरी कोशोश करेंगे की मिनिस्ट्री ज़रूर मिले। सच्चाई यह है की भारत में अधिकतर नेताओं को सिर्फ़ इस बात में दिलचस्पी है की उस की जीत होती रहे और वोह सियासत में बना रहे चाहे जनता बर्बाद ही क्यों न हो जाए। आज अगर यू पी ऐ की हुकूमत के बन्ने में कुछ संशय है टी इसकी बड़ी वजह राम विलास पासवान और लालू म्प्रसाद यादव की हठधर्मी है यदि इन दोनों ने कांग्रेस को ३ के बजाये ५-६ सीटें भी दे दीं होती तो बिहार में कोम्मुनल पार्टी की जीत मुश्किल होती है मगर लगता है की इन की ग़लती से इनको तो नुकसान होगा ही कांग्रेस को भी नुकसान होगा।
खैर अब जो भी हो सरकार जिस की भी बने आम जनता का भला होने वाला नही है। यदि नेता आम जनता का भला चाहते हैं तो क्या यह मुमकिन है की कांग्रेस और बीजेपी मिलकर सरकार बना ले। ऐसा कभी मुमकिन नहीं है। यह पार्टी दोबारह इन्तिखाब करा देगी मगर मिलकर हुकूमत नही बनाएगी। क्योंकि इन्हे जनता की नही अपनी फ़िक्र है।