मंगलवार, सितंबर 22, 2009

शाबाश पुण्य प्रसून वाजपेयी


आम तौर मुसलमाओं में यह सोच पाई जाती है की मीडिया में उनकी सही तस्वीर पेश नही की जाती । ऐसा कुछ हद तक सही भी है मगर इस बात से इंकार नही क्या ज सकता की आज भी कई अख़बार , कई चैनल और पत्रकार ऐसे हैं जो किसी भी हालत में सच का दामन हाथ से नहीं छोड़ते हैं। ऐसे ही पत्रकारों में से एक है टेलिविज़न की दुनिया के जाने माने पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी। गत दिनों उन्हों ने स्वर्गीय इशरत जहाँ से यह कहते हुए माफ़ी मांगी की हमने इशरत से सम्बंधित उसकी हत्या के समय जो ख़बर चलायी थी वोह ग़लत थी। काश ऐसी सोच हर पत्रकार की होती। आज सच्चाई यह है की देश में ज्यादह तर पत्रकार बेईमान हैं। दूसरी ख़बरों के साथ तो वोह बेईमानी करते ही हैं मुसलमानों से सम्बंधित ख़बरों में तो बेईमानी से काम लिया ही जाता है । प्यारे देश भारत में जब भी कोई धमाका होता है बिना किसी जाँच के तुंरत यह ख़बर चला दी जाती है की इसके लिए मुस्लमान जिम्मेदार हैं। कोई यह जानने की कोशिश नहीं करता की पहले सच जान लें फिर खबर चलायी जाए।

देर से ही सही मगर अब वाजपेयी ने अपनी ग़लती मान कर इतना बड़ा काम किया है की उनकी जितनी भी तारीफ की जाई कम है। आज पत्रकार बड़ी बेशर्मी से सिर्फ़ पुलिस और दूसरी अजेंसिओं की बात मान कर झूट को सच साबित करने में लगे रहते हैं। जहाँ तक फर्जी एनकाउंटर का सवाल है तो यह बात अब साबित हो चुकी है की भारत में ज्यादह तर एनकाउंटर फर्जी होते हैं। एनकाउंटर में यदि कोई मुसलमान मारा जाए तब तो ऐसे एनकाउंटर पर और भी शक होता है।

मेरा बस इतना कहना है की हो सकता है कुछ धमाकों में मुसलामानों का भी हाथ हो मगर हर धमाके के बाद बिना किसी सबूत के मुसलामानों को बदनाम कर देना उचित नही है। इस बात का अहसास पत्रकार बंधुओं को भी होना चाहिए। यदि पुण्य प्रसून वाजपेयी जैसी सोच हर पत्रकार की हो जाए तो फिर इस देश में कोई भी बेगुनाह मारा नही जाएगा और अगर मारा भी गया तो उसके कातिलों को सज़ा ज़रूर मिलेगी.

रविवार, सितंबर 20, 2009

ईद मुबारक


आज सारी दुनिया में ईद मनाई जा रही है । कल हमारे प्यारे देश भारत में भी ईद माने जायेगी । एक तरफ़ जहाँ ईद हमें खुशियाँ मानाने का मौक़ा देती है वहीँ हमें इस अवसर पर यह भी सोचना चाहिए की इस्लाम में जी कहा गया है हम उस पर चल रहे हैं की नहीं। इस अवसर पर हमें यह भी सीचना चाहिए की हम देश के कितने काम आ रहे हैं। आज पूरी दुन्या में मुसलमानों को बदनाम करने की एक साजिश चल रही है ऐसे में हमारी यह कोशिश होनी चाहिए की हम दुनिया के सामने इस्लाम की सही तस्वीर पेश करें। इस में कोई दो राए नहीं की कुछ लोगों की ग़लती से इस्लाम बदनाम हो रहा है । ऐसे में हम सभों की यह जिम्मदारी बनती है की हम न सिर्फ़ मुस्लमान बल्कि हिन्दुस्तानी मुस्लमान होने पर गर्व करें । एक बार फिर सभी देशवासिओं को ईद की मुबारकबाद। खुदा हमारे मुल्क को बुरी नज़रों से बचाए।

शनिवार, सितंबर 19, 2009

कांग्रेस और नेशनल लोकतान्त्रिक गठबंधन को झटका

दिल्ली की दो और बिहार की १८ सीटों के जो नतीजे आए हैं उस से एक तरफ़ जहाँ लालू प्रसाद यादव और उनके मजुदा दोस्त राम विलास पासवान को काफी लाभ हुआ है वहीँ दिल्ली में कांग्रेस और बिहार में नेशनल लोकतान्त्रिक गठबंधन को काफी नुकसान हुआ है। मध्यावधि चूनाव के नतीजे ने यह साबित कर दिया है की दिल्ली में शिला दीक्षित और बिहार में नीतिश कुमार लाख यह दावा करें की उनकी हुकूमत से जनता बहुत खुश है मगर सच्चाई क्या है इसका अंदाजा इस नतीजे से लग गया है । दिल्ली में शिला की सरकार को अभी ज्यादह दिन नहीं हुए हैं और उसे दो सीट का नुकसान हो गया इसका मतलब तो यही निकलता है की जनता को फिलहाल कांग्रेस की हुकूमत पर भरोसा नही है। दिल्ली में ओखला विधान सभा की सीट पर यहाँ के मशहूर लीडर आसिफ मोहम्मद खान की जीत बहुत खास है। पिछले चूनाव में लगभग ५०० वोट से हरने वाले आसिफ ने इस बार ५००० वोट से जीत दर्ज की । आसिफ की जीत इस कारन से भी खास है की उन्हें हराने के लिए ओखला में मौजूद मुसलमानों के कई बड़े संगठन ने उन्हें हराने के लिए चूनाव के दिन जनता से अपील की थी। शर्म की बात तो यह है की उनमें से कई अब आसिफ को उनकी जीत पर बधाई दे रहें हैं।
आसिफ उन नेताओं में से हैं जो जनता की भलाई को सब से ऊपर रखते हैं । यही कारन है की उनकी जीत पर सबसे ज्यादह खुशी ग़रीबों ने मनाई । आसिफ का एक बड़ा काम यह भी कहा जा सकता है की जीत के तुंरत बाद सबसे पहले वोह आतिफ और साजिद की कब्र पर गए जिन दोनों को उस जामिया नगर एनकाउंटर में मर गिराया गया था जिस की सच्चाई पर अब तक शक किया जा रहा है। हो सकता है की यह एनकाउंटर सही हो मगर सिर्फ़ मुस्लमान ही नही बल्कि अख़बार और दूसरे मीडिया वाले भी इस पर शक की निगाह से देख रहे हैं।
बिहार के नतीजे नीतिश कुमार को झटका देने वाले है। अलबत्ता इस नतीजे ने लालू और पासवान को ज़रूर खुश कर दिया है । खास तौर पर लालू की खुशी इस लिए जायज़ है क्यूंकि कुछ लोगो ने अब सियासत में लालू को बिल्कुल समाप्त समझ लिया था। खैर नीतिश और शिला को यह समझना होगा की यह झटका अभी छोटा है जो बाद में बढ़ भी सकता है।

कांग्रेस और एन डी इ

शनिवार, सितंबर 12, 2009

दाढ़ी से सम्बंधित सुप्रीम कोर्ट का काबिले तारीफ फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक विद्यार्थी मोहम्मद सलीम के सिलसिले में जो फ़ैसला सुनाया है उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। ज्ञात रहे की निर्मला कॉन्वेंट स्कूल ने सलीम को स्कूल से यह कह कर निकल दिया था की यदि स्कूल में रहना है तो दाढ़ी कटनी होगी । अब कोर्ट ने कहा है की दाढ़ी रखना किसी की धार्मिक आस्था का सवाल है और उसे कटाने के लिए किसी को मजबूर नही किया जा सकता। पता नही हमारे देश में जो की विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और उसकी एक सब से बड़ी खूबी यह है की यहाँ सभी धर्म के लोग आपस में मिल कर रहते हैं इसके बावजूद कभी दाढ़ी को लेकर तो कभी दोपट्टा को लेकर यहाँ हंगामा खड़ा होता रहता है। यदि कोई लड़की दुपट्टा पहन कर स्कूल जाती है तो उसपर किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति दाढ़ी रखना चाहता है तो यह उसका अपना मामला है इस पर भी किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए। ऐसा नही है की दाढ़ी वाले स्टुडेंट तेज़ नही होते। भारत में दाढ़ी रखे हुए मुस्लमान बड़े बड़े ओहदों पर है और वोह अपना और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। और वैसे भी सब से बड़ी बात धार्मिक आस्था का है यदि कोई मुस्लमान दाढ़ी रखना चाहता है तो किसी को उसे रोकने का हक नहीं है। उसी तरह यदि कोई हिंदू तिलक लगना छठा है या फिर वोह टिकी रखना चाहता है तो इस पर किसी को आपत्ति क्यों हो। यह उसकी अपनी मर्ज़ी है। जो लोग आए दिन कभी ड्रेस कोड के नाम पर तो कभी किसी और नाम पर इस तरह की बकवास करते रहते हैं उन्हें अपनी हरकतों से बाज़ आ जाना चाहिए।