मंगलवार, मई 12, 2009

सियासी जोड़ तोड़ शरू

पंद्रहवीं लोक सभा के लिए अब केवल अन्तिम दौर का मतदान बाकी है। अब तक लगा भाग हर सियासी पार्टी को अपनी हैसियत का अंदाजा हो चुका है अलबत्ता कुछ नेता ऐसे है जो अपनी हसियत को समझने के बावजूद उस से इंकार कर रहे है और बार बार यही कह रहे हैं की सफलता तो हमें ही मिलेगी। कौन सही दावे कर रहा था और कौन केवल बकवास कर रहा था इसका फ़ैसला तो १६ तारिख को हो जाएगा अलबत्ता नेताओं ने अपने तौर पर जोड़ तोड़ करना शरू कर दिया है। जिस पार्टी का सिर्फ़ एक दो एम पी जीतेगा वोह भी इस उम्मीद में है की हुकूमत किसी की बने हम उसमे शामिल हो जायेंगे और पूरी कोशोश करेंगे की मिनिस्ट्री ज़रूर मिले। सच्चाई यह है की भारत में अधिकतर नेताओं को सिर्फ़ इस बात में दिलचस्पी है की उस की जीत होती रहे और वोह सियासत में बना रहे चाहे जनता बर्बाद ही क्यों न हो जाए। आज अगर यू पी ऐ की हुकूमत के बन्ने में कुछ संशय है टी इसकी बड़ी वजह राम विलास पासवान और लालू म्प्रसाद यादव की हठधर्मी है यदि इन दोनों ने कांग्रेस को ३ के बजाये ५-६ सीटें भी दे दीं होती तो बिहार में कोम्मुनल पार्टी की जीत मुश्किल होती है मगर लगता है की इन की ग़लती से इनको तो नुकसान होगा ही कांग्रेस को भी नुकसान होगा।
खैर अब जो भी हो सरकार जिस की भी बने आम जनता का भला होने वाला नही है। यदि नेता आम जनता का भला चाहते हैं तो क्या यह मुमकिन है की कांग्रेस और बीजेपी मिलकर सरकार बना ले। ऐसा कभी मुमकिन नहीं है। यह पार्टी दोबारह इन्तिखाब करा देगी मगर मिलकर हुकूमत नही बनाएगी। क्योंकि इन्हे जनता की नही अपनी फ़िक्र है।

2 टिप्‍पणियां:

रंजन ने कहा…

राजा चाहे राम हो रावण...

क्या फर्क पड़ता है

जनता तो बेचारी सीता है

रावण हुआ तो हर ले जायेगा..

और राम हुआ तो वन में छोड़ आयेगा..

Razi ने कहा…

hukoomat kisi ki bhi bane,awaam ka fayada hoga ya nahi ye janna zyada zaroori.