रविवार, सितंबर 05, 2010

नाक कटने का डर


जैसे जैसे कॉमन वेल्थ गेम के दिन करीब आते जा रहे हैं वैसे वैसे दिल कि धड़कन यह सोच कर बढती जा रही है कि कहीं सचमुच इसका बेडा ग़र्क न हो जाए और कहीं दुनिया भर में हमारी नाक कट न जाए। आम जनता तो कह ही रही थी अब खिलाडी भी कहने लगे हैं कि हमारे देश को इतने बड़े खेल मेले के आयोजन कि जिम्मदारी नहीं लेनी चाहिए थी। एक तो इसकी तैय्यारी देर से शुरू हुई। दुसरे इसमें बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ और अब रही सही कसार दिल्ली में फैले डेंगू ने पूरी कर दी है। भारत में होने वाली आतंकवादी घटनाओं से चिंतित विदेशी खिलाडी पहले ही भारत में आने से आना कानी करते रहे हैं अब कई खिलाडिओं ने डेंगू कि वजह से दिल्ली नहीं आने का फैसला किया है।
जहाँ तक तैय्यारी का सवाल है तो हर प्रकार कि तैय्यारी में देरी हुई। स्टेडियम देर से तैयार हुए। जिसे तैयार बता कर उसका उदघाटनकर दिया गया उसमें अभी भी कई कमियाँ हैं। जब दिल्ली में ज़ोरदार बारिश होती है तो सड़कों कि हालत तो खराब होती ही है स्टेडियम कि छतें भी टपकने लगती हैं। ताज्जुब कि बात तो यह है कि उन स्टेडियम कि छतें टपक रही हैं जिन्हें वर्ल्ड क्लास का बताया गया है। मीडिया को नसीहत कि जा रही है कि कृपा करके बदनाम करने वाली रिपोर्टिंग न करें मगर जब कमी है तो उसे लिखा कियूं नहीं जाए। झूठी शान कियूं दिखाई जाए। बहुत से लोग तो यह भी कह रहे हैं कि सुरेश कलमाड़ी एंड कंपनी का जो घोटाला सामने आ रहा है फिलहाल उस पर ध्यान नहीं दिया पहले खेल का आयोजन सफलता से होने दिया जाए फिर बात मरीं देखा जायेगा। किया यह संभव है कि कलमाड़ी और उनके चाहीतों को विभिन्न घोटालों के लिए गेम के बाद सजा मिलेगी। आई पी एल के कमिश्नर ललित मोदी पर जब आरोप लगे तो उन्हें फ़ौरन उनके पद से हटा दिया गया और अब उन्हें सजा दिलान्ने कि भी कोशिश हो रही है मगर पता नहीं कियों कलमाड़ी को बचाने वालों कि एक लम्बी लाइन लगी हुई है। मनमोहन सिंह, शीला दीक्षित , एम् एस गिल और कई दुसरे लोगों कि तरह हर भारतीय यही चाहता है कि इन खेलों का आयोजन सही तरह से हो जाये और भारत कि नाक नहीं कटे मगर अब तक जो कुछ देखने में आ रहा है उस से यही लग रहा है कि नाक कटने का डर बना हुआ है।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

कट भी जाये ऐसी नाक तो कोई बात नहीं…
शायद इस बहाने ही सही कल(मुहे)माडी और शीला दीक्षित की बलि तो चढ़े, वैसे तो हटने वाले नहीं हैं ये…
क्या देश की इज्जत और नाक, करोड़ों लोगों के मेहनत के टैक्स के पैसों से बड़ी है?

क्योंकि यदि नाक नहीं कटी और गेम सफ़ल हो गये तो सोनिया कहेगी कि "पिछला सब कुछ भूल जाओ…" जैसे भोपाल गैस के बारे में अपने पति के निकम्मेपन को छिपाते हुए कहा है… :)