शनिवार, दिसंबर 03, 2011

सौ में से नब्बे बेईमान

ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल करप्शन इंडेक्स में भारत की पोजीशन और भी खराब हो गयी है। एक से लेकर दस के स्केल पर भारत को 3.1 नंबर मिला है। यानि यदि 33 को पास मार्क्स माना जाये तो भारत ईमानदारी के इम्तिहान में फेल हुआ है। यह कितने अफसोस की बात है की वयक्तिगत तौर पर कई मामलों में दूनया में मशहूर भारत बेईमानी के मामले में भी मशहूर है। हद तो यह है की आर टी आई जैसे कानून लागू होने के बावजूद इस देश में करप्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। यहाँ ऐसा लगता है की रिश्वत के बिना कुछ संभव ही नहीं है। रिश्वत ऐसे ली जा रही है जैसे यह ज़रूरी है और इसके बिना कुछ होना संभव नहीं है हैं। जिसे जहां मोका मिल रहा है वहीं लूट खसोट में लगा हुआ है।
इन दिनों आए दिन बड़े बड़े घोटालों की खबरें आने का मतलब यह नहीं है की यहाँ बेईमानी बढ़ गयी असल में हो यह रहा है की पहले की बेईमानी छुप जाती थी अब मीडिया के मजबूत हो जाने की वजह से बेईमानी को छुपाना मुश्किल हो रहा है। यह मीडिया का ही कमाल है की आज बड़े बड़े नेता जेल की हवा खा रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिनके बारे में हर किसी को पता है की वो भी बेईमान हैं मगर पुख्ता सबूत नहीं होने की वजह से वो अभी बाहर की ज़िंदगी के मज़े ले रहे हैं। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो हम बाहर घूम रहे इन भरष्टाचारियों को भी जल्द ही सलाखों के पीछे देखेंगे।
एक इंसान के लिए बेईमान या भरष्टाचार होना कोई बड़ी बात नहीं है मगर अफसोस की बात तब होती है जब लोग बेईमानी भी करते हैं और बेशर्मी से खुद को बेक़सूर भी बताते हैं। आजकल नेताओं का मामला कुछ ऐसा ही है आए दिन देखने में आ रहा है की कोई न कोई नेता का किसी बड़े घोटाले में आ रहा है। गुस्सा तब आता है जब यह बेशर्म नेता सबूत होने के बाद खुद को ईमानदार बताते रहते हैं। उस से बड़ी हद तब होती है जब बड़े नेता अपने बेईमान नेता को बचाने की कोशिश भी करते रहते हैं। नेताओं में साफ सूत्री छवि का नेता तलाशना बड़ा मुश्किल काम है। ऐसा लगता है इस हमाम में सभी नंगे हैं। कमाल की बात तो यह है की जो लोग भरष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं उन पर भी आंच आ रही है।
वैसे जहां तक सरकारी दफ्तरों में भरष्टाचार का सवाल है तो इस के बाबू के अधिक जनता भी जिम्मेदार है। हम खुद दूसरों से पहले अपना काम करने या फिर ग़लत तरीके से लाभ उठाने के लिए रिश्वत की पेशकश करते हैं। रिशव्त देने की पहल करके यदि हम यह कहें की फलां रिश्वत ले रहा है तो यह ग़लत है.

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