
भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी तनाव पैदा होता है तो टेलिविज़न पर आने वाले रक्षा विशेषज्ञ यही कहते है की हमारे पास पाकिस्तान के मुकाबले बहुत ताक़त है अगर हमारा पाकिस्तान से झगडा हो गया तो उसे पूरी तरह से हमें एक महीना से ज्यादह नही लगेगा। हमारा देश भारत कितना मज़बूत है और भगवान् न करे हम पर कोई बड़ी कठिनाई आती है तो हम इस से निबटने के लिए कितने सक्षम हैं इसका अंदाजा हमें जयपुर के पास इंडियन आयल के डिपो में लगी खतरनाक आग के बाद हो गया जिसे कई घंटे बीतने के बाद भी बुझाया नही जा सका। अब प्रश्न यह उठता है की सुपर पॉवर बनने का खवाब देखने वाले हिंदुस्तान के पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिसकी सहायता से ऐसी आग पर काबू पाया जा सके।
दिल्ली , मुंबई, और मथुरा से माहिर बुलाये गए मगर सब के सब इस आग को बुझाने में लाचार साबित हुए। पेट्रोलियम मिनिस्टर , जयपुर के चीफ फाएर ऑफिसर और मथुरा के जो भी माहिर गए सब ने अपने हाथ खड़े कर दिए और यही कहा की इस आग पर काबू पाना हमारे बस का नहीं है। हम तो उस समय का इंतजार कर रहे हैं जब टैंक का पेट्रोल ख़ुद समाप्त हो जाएगा और फिर आग ख़त्म हो जायेगी। डिपो में लगी इस आग से लगभग २० लोग मारे गए , अरबों रूपये का नुकसान हुआ और हजारों लोगों को अपना घर बार छोड़ कर भागना पड़ा। मगर यह सब उतना अफसोसनाक नहीं है जितना अफ़सोसनाक यह है की हमारे पास ऐसे सिस्टम की कमी है जो इस तरह की मुसीबत आने पर इसका हल निकाल सके।
सच्चाई यह है की हमारे देश में किसी को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास नहीं है। जयपुर में सिस्टम की खामी देखिये की जब मथुरा से गए सी आई एस ऍफ़ के लोग एक ख़ास केमिकल ले कर वहां पहुंचे तो उन्हें अपनी करवाई शुरू करने में इस लिए देर लगी क्योंकि उन्हें इस के लिए पानी की आवशयकता थी मगर उन्हें चार पाँच घंटे तक पानी नहीं मिला। वैसे बाद में इस टीम ने भी कह दिया की इस खतरनाक आग पर काबू पाना उनके बस का नहीं है। अब यह बात संजीदगी से सोचने की है की क्या इस नाकामी के बाद हम यह कहने की पोजीशन में हैं की हम ने काफ़ी तरक्की कर ली है और हम कई मुल्कों से टक्कर लेने की पोजीशन में हैं और यह की जल्द ही हम भी सुपर पॉवर बन जायेंगे। जहाँ तक मेरी समझ है जो देश ऐसी आग को बुझाने की सलाहियत नहीं रखता हो उसे ख़ुद को विकास शील देश कहने का हक भी नही है।
दिल्ली , मुंबई, और मथुरा से माहिर बुलाये गए मगर सब के सब इस आग को बुझाने में लाचार साबित हुए। पेट्रोलियम मिनिस्टर , जयपुर के चीफ फाएर ऑफिसर और मथुरा के जो भी माहिर गए सब ने अपने हाथ खड़े कर दिए और यही कहा की इस आग पर काबू पाना हमारे बस का नहीं है। हम तो उस समय का इंतजार कर रहे हैं जब टैंक का पेट्रोल ख़ुद समाप्त हो जाएगा और फिर आग ख़त्म हो जायेगी। डिपो में लगी इस आग से लगभग २० लोग मारे गए , अरबों रूपये का नुकसान हुआ और हजारों लोगों को अपना घर बार छोड़ कर भागना पड़ा। मगर यह सब उतना अफसोसनाक नहीं है जितना अफ़सोसनाक यह है की हमारे पास ऐसे सिस्टम की कमी है जो इस तरह की मुसीबत आने पर इसका हल निकाल सके।
सच्चाई यह है की हमारे देश में किसी को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास नहीं है। जयपुर में सिस्टम की खामी देखिये की जब मथुरा से गए सी आई एस ऍफ़ के लोग एक ख़ास केमिकल ले कर वहां पहुंचे तो उन्हें अपनी करवाई शुरू करने में इस लिए देर लगी क्योंकि उन्हें इस के लिए पानी की आवशयकता थी मगर उन्हें चार पाँच घंटे तक पानी नहीं मिला। वैसे बाद में इस टीम ने भी कह दिया की इस खतरनाक आग पर काबू पाना उनके बस का नहीं है। अब यह बात संजीदगी से सोचने की है की क्या इस नाकामी के बाद हम यह कहने की पोजीशन में हैं की हम ने काफ़ी तरक्की कर ली है और हम कई मुल्कों से टक्कर लेने की पोजीशन में हैं और यह की जल्द ही हम भी सुपर पॉवर बन जायेंगे। जहाँ तक मेरी समझ है जो देश ऐसी आग को बुझाने की सलाहियत नहीं रखता हो उसे ख़ुद को विकास शील देश कहने का हक भी नही है।