शुक्रवार, अक्तूबर 29, 2010

लीव इन में रहने वाली महिला रखैल नहीं तो और क्या?


गत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने लीव इन में रह रही महिलाओं के संबंध में एक अहम फैसला देते हुये कहा की अगर कोई पुरूष रखैल रखता है , जिसको वो गुज़ारे का खर्च देता है और मुख्य तौर पर यौन रिश्तों के लिए या नौकरानी की तरह रखता है तो यह शादी जैसा रिश्ता नहीं है। इस फैसले के बाद बहुत से लोगों को रखैल शब्द पर आपत्ति है। प्रख्यात वकील और अडिशनल सॉलीसिटर जनरल इंदिरा जय सिंह ने लिव-इन रिश्तों में रह रही महिलाओं के लिए ' रखैल ' शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है की फैसले में इस्तेमाल किया गया रखैल शब्द बेहद आपत्तिजनक है और इसे हटाए जाने की जरूरत है। जयसिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 21वीं सदी में किसी महिला के लिए ' रखैल ' शब्द का इस्तेमाल आखिर कैसे कर सकता है? क्या कोई महिला यह कह सकती है कि उसने एक पुरुष को रखा है? 
यह सही है की कोई महिला यह नहीं कहेगी की उसने पुरूष रखा हुआ है मगर इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता की जिस प्रकार पुरूष महिला को बिना शादी के साथ में रखते हैं उसी प्रकार महिलायें भी पुरूष को बिना शादी के अपने साथ रखती हैं। अब इस के बाद एक अहम सवाल यह पैदा हो गया है और इस पर बहस की ज़रूरत है की ऐसी महिलाओं के लिए रखैल शब्द का प्रयोग उचित कियून नहीं है। यह अलग बात है की कानून के मुताबिक कोई भी बालिग लिव इन में रह सकता है या रह सकती है। मगर क्या भारत जैसे देश में इस रिश्तों को सही माना जाएगा या सही माना जाना चाहिए। कोई भी धर्म ऐसा नहीं हैं जिसमें बिना शादी के महिला और पुरूष को एक पति पत्नी की तरह रहने और शारीरिक संबंध बनाने की इजाज़त देता है। इस के बावजूद यदि कोई ऐसा करता है तो उसे बुरी नज़र से कियून नहीं देखा जाए। ऐसा नहीं हैं रखैल शब्द सिर्फ महिलाओं के लिए ही है यदि कोई पुरूष किसी महिला के साथ बिना शादी के रह रहा है और शारीरिक संबंध बना रहा है तो उसके लिए भी यही शब्द इस्तेमाल होना चाहिए। यह कहना की 21 वीं सदी में किसी महिला के लिए रखैल शब्द का इस्तेमाल सही नहीं है बेकार की बात है। यह 21 वीं सदी है, देश तरक़्क़ी कर रहा है, महिलायें भी जीवन के विभिन्न मैदानों में आगे बढ़ रही हैं इसका मतलब यह नहीं है की वो बिना शादी के किसी पुरूष के साथ पति पत्नी की तरह रहें। ईमानदारी की बात यह है और सच्चाई भी इसी में है की जो कोई महिला या पुरूष इस तरह लीव इन में रहता है या रहती वो सिर्फ और सिर्फ ऐसा मज़े के लिए और जिम्मेदारियों से भागने के लिए करता है। इस प्रकार के रिश्तों में रहने वालों के लिए नैतिकता की बात करना बेमानी है। यह इंसान की फितरत है और इस लिए एक लड़का और लड़की में पियार मुमकिन है ऐसे में यदि उन दोनों को साथ रहना है और दोनों बालिग हैं तो फिर उनके लिए शादी एक बेहतरीन तरीका है। ऐसे लड़के या लड़कियां शादी जैसे पवित्र बंधन में बांधने से कियून भागते है। अगर कोई शादी से भागता है तो इसका मतलब यह है की शादी के बाद आने वाली जिम्मेदारियों से भाग रहा है। और जो लोग समाज से भागते हों , सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों से भागते हों ऐसे लोगों के साथ हमदर्दी किस बात की। एक आसान सी बात है जो हर किसी को समझना चाहिए की बिना शादी के शारीरिक संबंध बनाना ग़लत है और इसे ग़लत माना जाना चाहिए। जब बिना शादी के शारीरिक संबंध बनाने को ग़लत माना जाता है तो फिर लीव ईन में रहने और हर प्रकार के मज़े करने की जितनी भी निंदा की जाये कम है। जो लोग इस प्रकार के रिश्ता रखने वालों का साथ देते हैं, उनके साथ हमदर्दी रखते हैं और उनके हक़ की लड़ाई लड़ते हैं वो दरअसल भारत की संस्कृति के साथ मज़ाक करते हैं। मेरी जितनी समझ है उस से मुझे लगता है की लीव इन वेस्टर्न मुल्कों में फैली एक बुराई है जो अब बड़ी तेज़ी से भारत में भी फैलती जा रही है यदि ऐसे रिश्तों की निंदा नहीं की गयी तो धीरे धीरे शादी का सिस्टम ही खत्म हो जाएगा और पार्टनर बादल बदल कर मज़ा बदलने का रिवाज भी बढ्ने लगेगा.

शनिवार, अक्तूबर 23, 2010

खेल के बाद अब दूसरा खेल शुरू


पहले समय पर स्टेडियम तैयार नहीं हुये, फिर जो स्टेडियम तैयार हुये उन में कई कमियाँ रह गईं, किसी के छत से पानी टपका तो कहीं से साँप निकला, कहीं पुल टूट गया तो कहीं प्रैक्टिस के दौरान खिलाड़ी गिर कर ज़ख्मी हो गए। इन सब से बड़ी बात यह हुई कि जैसे-जैसे राष्ट्रमंडल खेलों के दिन नजदीक आते गए वैसे वैसे नए नए घोटाले भी सामने आने लगे। रही सही कसर दिल्ली में फैले डेंगू ने पूरी कर दी। इन सब के बाद हर कोई बस यही कहने लगा कि भारत में राष्ट्रमंडल खेल सही ढंग से नहीं हो पाएंगे और भारत की नाक कट जाएगी। मगर राष्ट्रमंडल खेलों का शानदार उद्घाटन हुआ और फिर शानदार समापन भी। इस दौरान सभी खेल शानदार तरीके से आयोजित हुये। हर कोई जो सुरेश कलमाड़ी और उनकी टीम के पीछे पड़ा हुआ था उसने भी कहा वाह! ऑस्ट्रेलिया जैसा देश जो पहले तो इस गेम में शरीक होने के बहाने बनाता रहा फिर वहाँ के एक पत्रकार ने स्टिंग ओपराशन करके भारत और दिल्ली को बदनाम करने की कोशिश की उसी ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी और मीडिया अब कलमाड़ी और उनकी टीम की तारीफ करते नहीं थक रहें हैं। ईमानदारी से देखा जाए तो राशत्रमंडल खेल जीतने सफल रहे उतने की किसी ने उम्मीद नहीं की थी।
कुल मिलकर खुदा का शुक्र है कि खेल बड़ी कामयाबी के साथ सम्पन्न हो गए। मगर अब इस खेल के समापन के बाद दूसरा खेल शुरू हो गया है। और यह खेल है एक दूसरे को बदनाम करने का खेल। गेम के तुरंत बाद पहले तो इस की सफलता का क्रेडिट लेने का खेल शुरू हुआ। आयोजन समिति के सुरेश कलमाड़ी ने कहा कि इसकी सफलता का सेहरा मेरे सर जाता है तो दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि यह कलमाड़ी के बस की बात नहीं थी, यह कमाल तो मैंने कर दिखाया। मगर जब मीडिया और आम जनता ने यह कहा कि ठीक है खेल तो सफल हो ही गए, अब ज़रा खेल के नाम पर किए गए घोटालों की जांच हो जाए तो फिर एक नया खेल शुरू हो गया और यह खेल है एक दूसरे को बदनाम करने का खेल। एक तरफ जहां दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इन सारी अनियमितताओं के लिए कलमाड़ी और उनके लोगों को जिम्मेदार बता रहीं है वहीं दिल्ली सरकार की बेचैनी को देख कर लगता है कि आने वाला दिन उसके लिए भी अच्छा नहीं रहेगा। कलमाड़ी ने भी कहा है कि पहले दिल्ली सरकार अपनी योजनाओं में फैले भ्रष्टाचार की तरफ ध्‍यान दे फिर हमें बदनाम करने का सोचे। खुद शीला को भी लगता है कि दिल्ली सरकार को परेशानी का सामना करना पर सकता है इसलिए कैबिनेट की बैठक में शीला ने अपने मंत्रियों से कहा है कि राष्ट्रमंडल खेल परियाजनाओं से संबंधित जो भी काग़ज़ात हैं उसे संभाल कर रखें। शीला और कलमाड़ी के बीच शुरू हुई जंग से लगता है कि कहीं न कहीं दोनों को दाल में कुछ काला होने का डर साता रहा है। इसी कारण दोनों ने खुद को बचाने के लिए एक दूसरे को घेरना शुरू कर दिया है। इन दोनों को समझना चाहिए कि अगर आप इन खेलों की सफलता का सेहरा खुद के सर लेना चाह रहें हैं तो इस में यदि कोई गड़बड़ी हुई है तो इसकी ज़िम्मेदारी भी आपको ही लेनी होगी। वो तो कुछ दिनों में पता ही चल जाएगा कि इन सारे घपलों और घोटालों का असली जिम्मेदार कौन है मगर इस पूरे मामले में काँग्रेस पार्टी की भी किरकिरी हो रही है। और इसे मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी भी अच्छी तरह महसूस कर रहें है। यही कारण है कि सरकार के अलावा काँग्रेस पार्टी की तरफ से भी कलमाड़ी और शील दोनों से कहा गया है कि दोनों अपनी अपनी ज़बान बंद रखें और जांच में सहयोग करें ताकि काँग्रेस पार्टी की कोई बदनामी नहीं हो। मगर चूंकि खेल के बाद एक दूसरा खेल शुरू हो गया है और इस का लाभ हर पार्टी उठाना चाहती है तो भला भारतीय जनता पार्टी इस में कैसे पीछे रहती। भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी तो इन सारे घपलों और घोटालों के लिए परधानमंत्री दफ्तर को ही जिम्मेदार मानते हैं। गडकरी के अनुसार सारे भ्रष्टाचार के लिए अकेले आयोजन समिति नहीं बल्कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार भी ज़िम्मेदार है। कुल मिलकर पहले तो खेल के नाम पर अंदर अंदर दूसरा खेल भी होता रहा और अब जब की भ्रष्टाचार की जांच शुरू हुई है तो अब एक अलग ही खेल शुरू हो गया है और और वो है एक दूसरे को बदनाम कर खुद को बचाने का खेल और इस पूरे मामले का राजनीतिक लाभ उठाने का खेल। अब देखना यह है कि इस घटिया खेल में जीत किसकी होती है और हार किसकी होती है?

बुधवार, अक्तूबर 06, 2010

बिग बॉस की ऐसी की तैसी


 
बिग बॉस का चौथा सीजन धमाकेदार तरीके से शुरू हो चुका है। जैसा की समझा जा रहा था और यही इसमें ज़रूरी भी है बिग बॉस शुरू होते ही घर के अंदर धूम धमाका शुरू हो चुका है। एक दूसरे के भेद खुलने लगे हैं। नकली आँसू के गिरने का सिलसिला शुरू हो चुका है। और गली गलोज भी जारी है। इस बार सबसे अलग बात यह रही की पहले मेहमान आपस में एक दूसरे को गाली देते थे इस बार बंटी नाम के एक मेहमान ने किसी दूसरे मेहमान को नहीं बल्कि बिग बॉस को ही गाली दे दिया। बंटी ने बिग बॉस को एक दो नहीं बल्कि पचास बार गाली दी। यही कारण से उन्हें घर से बाहर भी कर दिया गया। यह वही बंटी हैं जो पहले बहुत मशहूर चोर थे अब जेल से बाहर आयें हैं तो मीडिया उन्हें हेरो बना कर पेश कर रही है और वो खुद भी अपने को किसी हेरो से कम नहीं समझ रहे हैं। बहुत से लोगों को लगता होगा की बंटी ने जो किया वो ग़लत है ऐसे लोगों को शायद यह पता नहीं की चैनल के लिए और इस प्रोग्राम् की सफलता के लिए जो चीज़ सब से ज़रूरी है वो बंटी ने ही किया। बिग बॉस जैसे प्रोग्राम्म का मतलब ही है की अंदर लोग एक दूसरे की बुराई करें एक दूसरे की मान बहन करें और जितना मुमकिन हो नकली आँसू बहाएँ। इस बार जो भी मेहमान बिग बॉस के घर में है उनमें कोई बड़ा नाम नहीं है। फिर जनता इतनी बेवकूफ तो है नहीं जो उन्हें देखना पसंद करेगी। हाँ इन्हें पसंद तब किया जाएगा जब इनमें मार पीट हो। वो एक दूसरे को गाली दें लड़के लड़कियों के बीच प्यार भी शुरू हो तभी तो जनता को अच्छा लगेगा। इस बार जो मेहमान आए हैं उनमें अधिकतर का बॅक ग्राउंड विवादित रहा है। जनता को वीणा मालिक को देखने में दिलचस्पी नहीं है बल्कि जनता तो चाहती है की वो पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहम्मद आसिफ से अपनी प्रेम कहानी को जनता को बताए। अश्मित पटेल से लोग यह जानना चाहते है की कैसे उनका और रिया सेन का एम एम एस बना था। कुल मिला कर बिग बॉस जैसा प्रोग्राम गाली ग्लोज के बिना बेकार है। जनता में सर्वे करा कर देख लिया जाये बंटी ने जो बिग बॉस को गाली दी उसे पसंद किया गया होगा।
सच्चाई यह है की भारतिए मीडिया अब बहुत आगे निकाल चुका है। अब यहाँ भी शर्म नाम की कोई चीज़ नहीं रही। इस बार तो लड़के लड़की दोनों को बिग बॉस के एक ही कमरे में सुलाया जा रहा है। पहले दिन राखी सावंत का वो वाक्य याद कीजिये जब उसने सलमान खान से कहा था की इस बार लड़के लड़की साथ सोएँगे बड़ा मज़ा आएगा। जी हाँ इस बार जैसे जैसे मेहमान है तो तैयार रहिए बहुत अच्छी अच्छी चीज़ें देखने को मिलेंगी। हो सकता है दो मेहमान आने वाले दिनों में एक दूसरे को कीसस करते हुये भी नज़र आ जाएँ। ताज्जुब की बात यह है की भारत जैसे देश में इसे पसंद किया जा रहा है और दर्शक इसे खूब मज़े ले के देख रहें हैं। अब तो बिग बॉस की माँ बहन हो ही चुकी है आगे आगे देखिये होता है क्या.