शुक्रवार, नवंबर 21, 2008

मालेगांव पर राजनिति

मालेगांव बम धमके के सिलसिले में हो रही गिरफ्तारी पर हो रही राजनीती पर परधान मंत्री मनमोहन सिंह की चिंता वाजिब है। यह बड़े शर्म की बात है की लाल कृष्ण अडवाणी जैसे बड़े सियासतदान साधू , साध्वी और सैनिक को बचने की कोशिश कर रहे हैं। जब मालेगांव में बेकसूरों की जान गई तो कोई नही बोला। और अब जब इस सिलसिले में कुछ लोगों को शक की बुन्याद पर गिरफ्तार किया गया है तो हर कोई इस कोशिश में लगा है की इन्हें बचा लिया जाए। इस तरह की कोशोशों से जाँच एजेन्सी पर दबाव बरध रहा है। अगर साध्वी, साधू या सैनिक पुरोहित को बचने की कोशिश करने वाले अपनी हरकतों से बाज़ नही आए तो जाँच में लगे अधिकारीयों का होसला टूटेगा और फिर देश में इमानदार लोग ईमानदारी से काम करना बंद कर देंगे। अभी ऐसा नही है की साध्वी, साधू या फिर सैनिक को सख्त सज़ा हुई है अभी तो सिर्फ़ जाँच चल रही है और यदि वोह कसूरवार हुए तो सज़ा होगी नही तो यह सभी बच जायेंगे फिर इस पर इतना हंगामा मचने की क्या ज़रूरत है।
इस बात की गारंटी कौन लेगा की साध्वी, साधू या फिर सैनिक ग़लत हरकतों में शामिल नही हो सकते। जिस प्रकार किसी मस्जिद का इमाम या मौलाना के बारे में यह नहीं कहा जा सकता की वोह ग़लत नही कर सकते उसी प्रकार किसी साध्वी या साधू के बारे में गारंटी से यह नहीं कहा जा सकता की वो किसी धमाके में शामिल नहीं हो सकते। सच्चाई यह है की इस प्रकार की हरकत करने वालों का कोई धर्म नही होता और ऐसे विघटन करी लोग हर धर्म में पाए जाते हैं। हम सब को मिलकर ऐसे लोगों का विरोध करने की ज़रूरत है। ऐसे लोग भारत देश के दुश्मन हैं और हमारे विकास में रोड़ा हैं।
जब मालेगांव बम धमाके की जाँच जरी है तो फिर अडवाणी या फिर दूसरे लोगों को इनकी हिमायत नही करनी चाहिए। अगर यह लोग सही हैं तो बरी हो जायेंगे। नही तो इन्हें इनके किए की सज़ा ज़रूर मिलेगी। जो भी नतीजा निकलेगा देश वासी जान लेंगे.

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