शनिवार, दिसंबर 13, 2008

ख़राब होता भारत पाक रिश्ता

मुंबई हमले के ताल्लुक से अब तक जो जाँच होई है उस से यह बात साबित हो चुकी है की इन हमलों में अगर सीधा पाकिस्तान का हाथ नही है तो कम से कम हमला करने वाले उसके देश के ही हैं। भारत के पास जो एक आतंकवादी फिलहार गिरफ्तार है उस से मालूम हो चुका है की उसका सम्बन्ध पाकिस्तान से है। केवल भारत ही नहीं बल्कि दुन्या का दूसरा मीडिया भी यह बता रहा है की अजमल कासब पाकिस्तान के फरीद कोट का रहने वाला है। इसके बावजूद अगर पाकिस्तान यह मानने को तैयार नही है तो यह उसकी हठ धर्मी ही कही जायेगी ।
हमें यह अच्छी तरह से पता है की ख़ुद पाकिस्तान भी आतंकवादी हमलों से पीरित है और हर नए दिन उसके यहाँ भी ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं। मगर यहाँ सब से ज़रूरी यह है की यदि वोह भी इसी तरह की हरकतों से दो चार है तो फिर वोह हिंदुस्तान के साथ मिलकर ऐसे तत्वों पर करवाई क्यों नहीं करता। बेक़सूरों की जान लेने वाले आम इन्सान नहीं हो सकते। ऐसे लोगों का सम्बन्ध किसी धर्म से भी नही हो सकता। क्योंकि दुन्या का कोई भी धर्म ऐसा नही है जिसमे यह कहा गया है की बेक़सूरों की जान लो। इस्लाम में तो एक व्यक्ति की हत्या पूरे मानवता की हत्या है। वैसे आम लोगों में मेसेज तो यही जाता है की मुस्लमान आतंक वादी होते हैं। आख़िर हम किन किन लोगों को समझाएं की भाई मुसलमानों का आतंकवाद से कोई लेना देना नही है। बेक़सूरों की जान लेने वालों का नाम तो मुस्लमान जैसा हो सकता है मगर ऐसे लोग सच्चे मुस्लमान नहीं हो सकते।
सबसे ज़रूरी यह जानना है की आखिर ऐसे लोग चाहते क्या हैं। इनके पीछे किसका दिमाग कम करता है आखिर ख़ुद यह अपनी जान देकर क्या हासिल करना चाहते हैं। बात जो भी हो मगर अब तक की बात चीत से पाकिस्तान का रवैया घिर ज़िम्मादाराना लगता है। भला हो भारत का जो काफी सियाम से काम ले रहा है वरना अगर यहाँ के शशक अगर ज़िम्मेदारी न दिकाएं तो पाकिस्तान पर हमला तै है।

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