सोमवार, नवंबर 09, 2009

विधान सभा में राज ठाकरे एंड कंपनी की गुंडा गर्दी

महाराष्ट्र विधान सभा में अबू आसिम आज़मी के शपथ लेने के समय राज ठाकरे उनके निर्वाचित गुंडों ने जो कुछ भी किया उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम हैआए दिन किसी किसी बात को बहाना बनाकर राज के गुंडे तो पहले भी लोगों के साथ मार पीट करते रहे हैं मगर इस बार तो उनहोंने हद ही कर दीहिन्दी में शपथ लेकर अबू आसिम आज़मी देशभक्ति का एक बेहतरीन नमूना पेश कर रहे थे मगर राज के गुंडों को देश की भाषा का महत्व ही नहीं मालूम इसलिए उन्हों ने आज़मी के साथ सदन के अन्दर ही बदतमीजी की
राज और उनके गुंडों की हिम्मत आज इसलिए बढ़ गई है की उन्हों ने पहले जब भी हंगामा किया , बड़े बड़े लोगों के साथ बदतमीजी की तो उन के विरूद्व करवाई नहीं हुईनॉर्थ इंडिया खास तौर पर बिहार के लोगों के साथ राज के गुंडे आए दिन मार पीट करते रहते हैं मगर कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकाराज और उनके लोग नंगे होकर सड़कों पर नाचते रहे और उन लोगों के ख़िलाफ़ कोई कारवाई नहीं हुई। सरकार और पुलिस की लापरवाही की वजह से ही आज राज के लोगों ने सदन में ही ऐसी हरकत कर दी की सारे देश की आँखें शर्म से झुक गयीं।
फिलहाल सदन में बदतमीजी करने वालों के खिलाफ करवाई हुई है मगर इन के अलावा राज ठाकरे के खिलाफ भी सख्त करवाई होनी चाहिए। ताज्जुब की बात यह है की जिस हरकत को सारा देश बुरा कह रहा है राज और उनके लोग हमेशा वही हरकत करते हैं। अगर राज ठाकरे पर लगाम नही लगाया गया तो आने वाले दिनों में वह और उनके लोग और भी अधिक खतरनाक हो जायेंगे और फिर इस की प्रतिकिर्या में पूरे देश में जो होगा उस पर काबू पाना आसन नहीं होगा।

2 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

भारतीय लोकतंत्र अभी अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच चुका है ....तो यही सब देखने सुनने को मिलेगा ....

Alok Nandan ने कहा…

क्या वाकई में भारतीय लोकतंत्र अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच चुका है ?? यदि हां तो इस दौर से यह खुद ब खुद निकलेगा या फिर इसको इस दौर से निकालने के लिए कुछ होगा ?? कभी कभी कोई इतिहास को अचंभित करने देने वाले घटनाओं के कोई एक कारण नहीं होते हैं...कई सारी चीजें वर्षों तक आपस में उलझती पुलझती रहती है, तब कोई अचंभा के रूप में अचानक प्रकट हो जाती है...राज ठाकरे पूरे देश में एक लहर तो ला ही रहा है...अब यह लहर कितने रूपों में अपने आप को प्रकट करेगा वह तो वर्तमान भी नहीं जान रहा है...वैसे भी हिंसा की ज्वाला तेजी से फैलती है...भारत में लोकतंत्र क्या है....राज के पहले बाल था...बिहार में भूरा बाल साफ करो जैसा हिंसक नारा गूंज चुका है..तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार का नारा यूपी में अंतर खाते घूम चुका है...और इनका असर भी लहर के रूप में हुआ था....ये सभी लहरे लोकतंत्र को कहां जाकर छूती हैं....भारतीय लोकतंत्र का सुनहरा दौरा भी कभी था क्या ??? खालिस्तान का मांग भी एक उन्मादी लहर था, जो खून बहाते हुये निकला...यह लोकतंत्र में एक शसक्त महिला प्रधान मंत्री का जान लेकर निकला...राज तो एक बहाना है...पूरा नेशन पर प्रभाव पड़ रहा है...बेबाक शब्दों में जहां तहां लिखा जा रहा है कि महाराष्ट्र में यूपी बिहार और झारखंड के लोग भरे पड़े हैं, जबकि वहां की सरकार अपने लोगों को वहीं पर काम मुहैया कराने में असफल रही है और रोज वहां घोटाले हो रहे हैं...