गुरुवार, नवंबर 26, 2009

अल्लाह करे ऐसा फिर कभी न हो


मुंबई में पर हुए आतंकवादी हमलों को एक साल बीत चुके हैं। इस अवसर पर आज हमें उन सभों के साथ होना चाहिए जिनके रिश्तेदार इस में मारे गए। इस आतंकवादी हमले में जिस किसी का भी हाथ था उसे जितनी भी सज़ा दी जाए कम होगी। आखिर इस तरह की दहशतगर्दी फैलाने वाले यह क्यों नहीं समझते कि उन्हों ने मासूम लोगों कि जान ले कर बहुत बुरा किया है। समझ में नहीं आता कि ऐसे लोग बेगुनाहों को मार कर आखिर क्या हासिल करना चाहते हैं। दुनिया का कोई भी धर्म बेगुनाहों कि जान लेने से मना करता है। जहाँ तक इस्लाम धर्म का सवाल है तो उसने तो एक व्यक्ति हत्या को पूरी मानवता कि हत्या बतलाया है। फिर तो एक सच्चा मुसलमान इस प्रकार कि गन्दी हरकत कर ही नहीं सकता।
जो लोग इस हमले में शामिल थे उसमें से अकेले अजमल कसाब ही बचा है। जो मर गए उन्हें ऐसा करके आखिर क्या मिला। अजमल कसाब भी किसी तरह बच नहीं सकता। तो फिर उसने ऐसा क्यों क्या। पता नहीं ऐसे लोग आख़िर क्या हासिल करना चाहते हैं। इस तरह कि हरकत जो भी कर रहा है उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। हर किसी को इस पारकर के हरकतों कि निंदा करनी चाहिए यदि कोई ऐसा नहीं करता है तो उसे बस इतना समझना चाहिए आज इस हमले में किसी का बेटा, किसी का शौहर, और किसी का बाप मारा है कल ऐसा किसी उसके अपने के साथ भी हो सकता है। हम तो बस खुदा से यही दुआ करते हैं कि इस हमले में जो लोग मारे गए हैं खुदा उनके घर वालों को सब्र दे और ऐसा हमला न केवल हिन्दुस्तान में बल्कि दुनिया के किसी भी हिस्से में नहीं हो और इस तरह बेक़सूरों कि जान न जाए।

2 टिप्‍पणियां:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

बहुत अच्छा और सच्चा लिखा है। यही सच भी है। इस दिन हुए ‘ाहीदों को नमन।

Udan Tashtari ने कहा…

ऐसा हमला न केवल हिन्दुस्तान में बल्कि दुनिया के किसी भी हिस्से में नहीं हो और इस तरह बेक़सूरों कि जान न जाए।

-दुआ में हम शामिल हैं.