मंगलवार, जनवरी 12, 2010

राजनेता को जनता की चिंता नहीं

गत सप्ताह दो ऐसी घटनाएं हुईं जिस से यह आसानी से अंदाज़ा लग जाता है कि नेताओं को जनता कि कोई चिंता नहीं है। वह राजनीती में सिर्फ और सिर्फ अपना भला करने के लिए आते हैं। पहली घटना दक्षिण भारत कि है वहां एक पुलिस वाला बम का शिकार हो कर तड़प तड़प कर सड़क पर मरता रहा मगर वहां से गुजरने वाले नेताओं ने उसकी चिंता नहीं की और उसे उसके हाल पर छोड़ दिया। बाद में इस पुलिस वाले की मौत हो गयी। ज्ञात रहे कि यह वह पुलिस वाला था जो चन्दन तस्कर वीरप्पन को मारने वाली टीम का हिस्सा था। जब नेता ने एक बड़े पुलिस वाले कि सुध लेने कि कोशिश नहीं कि तो फिर एक आम जनता यह कैसे आशा कर सकती है कि जिस व्यक्ति को उस ने अपना कीमती वोट देकर दिलाया है वह परीशानी में आपका साथ देगा। ऐसे लोग आपका साथ कभी नहीं दे सकते।
उसी तरह इन दिनों महंगाई ने जनता का जीना हराम किया हुआ है। इस सिलसिले में जब पत्रकारों ने कृषि मंत्री शरद पवार ने पूछा कि महंगाई कब कम होगी तो उनका कहना था कि मैं ज्योतिषी नहीं हूँ जो यह जानूं। ज़रा सोचिये जब मंत्री को यह पता नहीं होगा तो यह किसे पता होगा। मंत्री जी तो कौन बताये कि मामूली सी महंगाई से आम जनता को परीशानी हो जाती है और अभी तो बेतहाशा महंगाई बढ़ रही है। आम जनता के घर का पूरा सिस्टम ही गड़बड़ हो गया है। ऐसे में मंत्री का ग़ैर जिम्मेदाराना बयान क्या साबित करता है। सच्चाई यह है कि आज राजनीती में ज्यादह तर ऐसे ही लोग हैं जिन्हें जनता कि फ़िक्र नहीं है वह राजनीती में हैं टी सिर्फ इसलिए कि इस दौरान अधिक से अधिक पैसे बना लिए जाएँ ताकि आने वाली नस्ल आराम से जीवन गुज़ार सके.

2 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

हां , सच कहा आपने इन घटनाओं ने जनता का विश्वास या अविश्वास फ़िर से पुख्ता किया
अजय कुमार झा

Udan Tashtari ने कहा…

यही इनकी सच्चाई है.