शुक्रवार, जुलाई 02, 2010

गाजर मूली की तरह कट रहे हैं हमारे फौजी

माओवादी हमारे जवानों को मूली गाजर की तरह काट रहें है। हर आने वाले दिन देश के किसी न किसी हिस्से में हमारे जवान माओवादी या नक्सल का शिकार हो रहें हैं। पहले ऐसा होता था की इन हमलों में आम जनता मारी जाती थी मगर अब तो ऐसा लगता है की माओवादीओन ने खास तौर पर फौज को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। राजनेता मारे गए फौजियों के घर वालों को वक्ती तौर पर दिलासा तो दे देते हैं मगर उनके ज़ख़्मों को भर्ना आसान नहीं है। पता नहीं क्यों सरकार माओवाडीओन के प्रति नर्म रवैया अपनाती है। ऐसा शायद इस लिए है की माओवाडीओन के हमले में आम तौर पर या तो जनता या फिर फौजी मारे जाते हैं कोई नेता नहीं मारा जाता। अगर माओवादी नेता को निशाना बना शोरू कर दें तो शायद ऐसा नहीं होगा। सरकार को चाहिए की वह माओवाडीओन की गतिविधियों पर तुरंत सख्त कारवाई करे ताकि आइंदा से न कोई आम आदमी इन हमलों का शिकार हो और न ही फौजियों को अपनी जानें गंवानी पड़ें। ज़रा ग़ौर कीजिये जो फौजी हरी रक्षा के लिए दिन रात लगे रहते हैं उनकी जान बड़ी आसानी से चली जाती है.

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