बुधवार, दिसंबर 22, 2010

सचिन तेरा जवाब नहीं !


इसी साल 11 अक्टूबर को जब सचिन तेंदुल्कर ने अपने टेस्ट कैरियर की 49 वीं संचूरी बनाई थी तो उस के बाद हर कोई बस उसी दिन का इंतज़ार कर रहा था की वो दिन जल्दी आए और सचिन अपने शतकों का अर्धशतक मुकम्मल कर लें। अंततः वो दिन भी आ गया और सचिन ने अपने शतकों का अर्धशतक भी पूरा कर लीया। यह अफसोस की बात है की भारत को इस टेस्ट में हार का मुंह देखना पड़ा मगर इतने कठिन हालत में भी शतक बना कर सचिन ने बता दिया की उनमें अभी भी न केवल बहुत किरकेट बची है बल्कि वो किसी भी दूसरे बल्लेबाज़ से बेहतर हैं। इस टेस्ट में सचिन 111 रन बना कर अविजित रहे हो सकता है उन्हें यदि कुछ खिलाड़ियों का साथ मिला होता तो वो इस टेस्ट को बचाने में सफल भी हो जाते। एक लंबे समय से किरकेट खेलते आ रहे सचिन के नाम रिकार्डों की एक लंबी फेहरिस्त है। सचिन के नाम पर वनडे मैचों में 46 शतक दर्ज हैं और इस तरह से वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का सैकड़ा पूरा करने के करीब हैं। अब सचिन के चाहने वालों को उस दिन का इंतज़ार है जब वो इंटरनेशनल किरकेट में शतकों का शतक पूरा करेंगे। इन दिनों सचिन जिस फार्म में हैं उस से तो यही लगता है की वो दिन भी दूर नहीं जब सचिन यह उपलब्धि भी हासिल कर लेंगे। टेस्ट किरकेट में एक शतक की तमन्ना रखने वाले खिलाड़ियों की कमी नहीं है मगर जब कोई खिलाड़ी एक दो नहीं बल्कि 50 शतक पूरे कर ले तो उसका इस उपलब्धि पर नाज़ करना और घमंड दिखाना लाज़मी है मगर कमाल के हैं सचिन जो पचास शतक लगाने के बाद भी कुछ ऐसे नज़र आते हैं जैसे उनहों ने कोई कमाल किया ही नहीं। तेंदुलकर यह उपलब्धि हासिल करने वाले न सिर्फ दुनिया के पहले बल्लेबाज ही नहीं बने है बल्कि ऐसा लगता है उनके इस रिकार्ड तक पहुंचना अब किसी दूसरे बल्लेबाज़ के बस का नहीं है। सब से अधिक शतक के मामले में पोंटिंग 39 शतक के साथ दूसरे जबकि जैक्स कालिस 38 शतक लगाकर तीसरे नंबर पर हैं। तेंदुलकर दुनिया के उन गिने चुने बल्लेबाजों में शामिल हैं जिन्होंने टेस्ट खेलने वाले हर देश के खिलाफ शतक लगाए हैं। उन्होंने सर्वाधिक 11 शतक आस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाए हैं। इसके बाद श्रीलंका का नंबर आता है जिसके खिलाफ सचिन ने नौ शतक लगाए हैं। इन के अलावा सचिन ने इंग्लैंड के खिलाफ सात शतक, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ छह शतक, बांग्लादेश के खिलाफ पांच शतक, न्यूजीलैंड के खिलाफ चार शतक, वेस्टइंडीज और जिंबाब्वे के खिलाफ तीन-तीन शतक और पाकिस्तान के खिलाफ दो शतक लगाए हैं. अपने पचास शतकों में से से उन्होंने 22 शतक स्वदेश में जबकि 28 शतक विदेश में लगाए हैं।
तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट शतक 20 साल से भी अधिक समय पहले 14 अगस्त 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में बनाया था। भारत की तरफ से सबसे कम उम्र में शतक लगाने वाले बल्लेबाज तेंदुलकर ने अपना 10वां शतक भी इंग्लैंड के खिलाफ नाटिंघम में 1996 में लगाया था।सचिन ने अपना 20 वां शतक अक्टूबर 1999 में न्यूजीलैंड के खिलाफ लगाया। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ ही 2002 में लीड्स में 30वां शतक लगाकर सर डान ब्रैडमैन को पीछे छोड़ा था और फिर दस दिसंबर 2005 को श्रीलंका के खिलाफ दिल्ली में 35वां शतक जमाकर हमवतन सुनील गावस्कर के रिकार्ड को तोड़ा था। सचिन ने अपना 40 वां शतक नवंबर 2006 में लगाया.
किरकेट में यह बहस काफी दिनों से हो रही है की ऑस्ट्रेलिया के सर डॉन ब्रेडमैंन के बाद सब से अच्छा बल्लेबाज़ कौन है। मगर पिछले एक दो सालों से अब एक नई बहस यह शुरू हुई है की सचिन बेहतर हैं या डॉन ब्रेडमैंन। आस्ट्रेलियाई अखबार ने इस संबंध में बाकायदा आनलाइन सर्वे कराया जिसमें सचिन को विजेता घोषित किया गया। वहाँ के अखबार 'सिडनी मार्निंग हेराल्ड' ने अपने आनलाइन सर्वे में 'सबसे महान क्रिकेटर-ब्रैडमैन या तेंदुलकर?' लोगों को वोट करने के लिए कहा है जिसमें 20,768 क्रिकेट प्रशंसकों ने अपने मत दिए। इसमें तेंदुलकर को 67 और ब्रैडमैन को 33 प्रतिशत मत मिले। खैर उस समय और मौजूदा समय के हालात अलग अलग हैं इस लिए यह बहस करना कोई बहुत बेहतर नहीं है की सचिन बेहतर है या ब्रैडमैन बेहतर थे मगर इतना तो तै है की सचिन अब तक के टॉप 10 बल्लेबाज़ में ज़रूर आएंगे और जैसा की सर्वे से साबित हुआ की वो टॉप दस में नहीं बल्कि किसी दूसरे बल्लेबाज़ का नंबर सचिन के बाद ही आता है।
सचिन ने अपने पूरे करियर में एक दू नहीं बल्कि अनेक रिकार्ड बनाए हैं। इन में कुछ रिकार्ड तो ऐसे हैं जो आने वाले कुछ सालों में टूट जाएँगे मगर कई ऐसे भी है जिनके टूटने पर शक है। यही कारण है की कई पूर्व किरकेटरों ने माना है की एक आम इंसान इतने दिनों तक इतना बेहतर तरीके से नहीं खेल सकता। कमाल की बात यह है की जिस सचिन ने अनेक रिकार्ड बनाए हैं उस सचिन के लिए कई रिकार्ड ऐसे हैं जो न सिर्फ अभी भी उनकी पहुँच से दूर हैं बल्कि इन में कुछ ऐसे है जिन तक पहुंचना सचिन के लिए संभव नहीं है। टेस्ट किरकेट में एक पारी में सब से बड़ा स्कोर, प्रथम श्रेणी किरकेट की एक पारी में सब से बड़ा स्कोर, प्रथम श्रेणी किरकेट में सब से अधिक शतक, प्रथम श्रेणी में सब से अधिक रन, एक टेस्ट में सब से अधिक रन, एक दिन में सब से अधिक रन और एक कलेंडर साल में सबसे अधिक रन। यह सब बलेबाजी के ऐसे रिकार्ड हैं जिन पर सचिन का कब्जा नहीं है। टेस्ट की एक पारी में सब से ज़्यादा रन बनाने का रिकार्ड वेस्ट इंडीज के ब्रायन लारा के नाम है। लारा 400 रन की पारी खेल चुके हैं। उसी प्रकार लारा ने प्रथम श्रेणी में एक बार अविजित 501 रन भी बनाए हैं। जहां तक लारा ने टेस्ट में दो बार 300 से अधिक रन बनये हैं वहीं सचिन ने अब तक टेस्ट में 250 का आंकड़ा भी नहीं छुआ है। उनका टेस्ट में सब से बड़ा सकोरे 248 रन है जो उनहों ने बांग्लादेश के खिलाफ दिसंबर 2004 में बनाए थे। प्रथम श्रेणी किरकेट में भी सचिन ने कभी 300 रन नहीं बनाए हैं। प्रथम श्रेणी किरकेट में सचिन ने 77 शतक लगाए हैं जबकि इस सिलसिले का रिकार्ड इंग्लैंड के जॅक हॉब्स के नाम है जिन्हों ने अपने करियर में 199 शतक लगाए। उसी प्रकार हॉब्स ने प्रथम श्रेणी में 61 हज़ार से अधिक रन बनाए जबकि सचिन ने प्रथम श्रेणी में अब तक 23406 रन बनाए हैं। किसी एक टेस्ट में सब से ज़्यादा रन बनाने का रिकार्ड इंग्लैंड के ग्राहम गूच के नाम है। गूच ने भारत के वीरुध दोनों परी में शतक बनाते हुये 456 रन बनाए थे जब की सचिन का किसी एक टेस्ट में सब से अधिक रन 301 रन है। इतने रन सचिन ने 2004 में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाए थे। एक ओर जहां सचिन ने अभी तक किसी सिरीज़ में 500 से अधिक रन नहीं बनाए हैं वहीं किसी एक सिरीज़ में सब से अधिक रन बनाने का रिकार्ड ब्रैडमैन के नाम है उनहों ने एक सिरीज़ में इंग्लैंड के खिलाफ 974 रन बनाए थे। ब्रैडमैन ने एक बार एक ही दिन में 309 रन बनाए थे जबकि सचिन ने अभी तक कभी भी एक दिन में 200 रन भी नहीं बनाए हैं। एक कलेंडर साल में भी सब से अधिक रन बनाने का रिकार्ड साचीन के बजाए किसी और खिलाड़ी के नाम है। पाकिस्तान के मोहम्मद युसुफ ने 2006 में 1788 रन बनाए थे जो की एक साल में सब से अधिक रन का रिकार्ड है। युसुफ के नाम एक साल में सब से अधिक नौ शतक का रिकार्ड भी है। सचिन ने अब तक एक साल में सात शतक तक लगाए हैं। इस तरह और भी कई रिकार्ड ऐसे हैं जो सचिन के बजाए किसी और खिलाड़ी के नाम दर्ज है मगर इस से उनकी महानता कम नहीं होती और अब सारी दुनिया ने उन्हें विश्व का सब से बड़ा बल्लेबाज़ मान लिया है।

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